आप सभी के सामने अपना मत रखना मै मानता हूँ की ये गुस्ताखी माफ़ी के काबिल नहीं है ? लेकिन कहा जाये तो अक वाक्य सभी गलतियों को माफ़ करने लायक बना देता है -- " दिल तो बच्चा " है ......... बाबरी मंदिर या मस्जिद ??? पैर आप सभी ज्ञानार्जन के लिए कई ब्लॉग ,बुक्स पढ़ चुके होंगे ....लेकिन मेरे कुछ सवाल और कुछ राय इस प्रकार है आप उनसे कहा तक सहमत है ये जानने की इच्छा हुई तो सोचा ब्लॉग अच्छा माध्यम बन सकता है .......... सवाल ये है की --1-- उपर वाले को मंदिर या मस्जिद की दीवार में रखना कहाँ तक उचित है ???? --2-- क्या खून में सनी दीवार के भीतर आप इबादत या पूजा करना चाहेंगे ??? --3--इस कथन से आप कहाँ तक सहमत है '' क्या उपर वाला इतना दुर्बल है की उसको स्वयं अपनी सुरक्षा के लिए गार्ड्स की जरुरत पड़ रही है " ???/ अगर हाँ तो हम अपनी सुरक्षा के लिए उसके सामने हा
विवरण भला किसी का कहीं दिया जा सकता है? जैसा जिसका नज़रिया वैसा उसका विवरण। खैर अब जब लिखने की फार्मेल्टी करनी ही है तो लीजिए- पेशे से शिक्षक और दिल से "पत्रकार" ये थोड़ा डेडली मिश्रण जरूर है लेकिन चौकाने वाला भी नही। समसामयिक घटनाओं के बारे में मेरी निजी राय क्या है वो यहां उपलब्ध है। आप सभी के विचारों का स्वागत है। मेरे बारे मेें जानने के लिए सिर्फ इसे समझे- (open for all influence by none! )