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Showing posts from February, 2012

निठल्लेपन का कारनामा !

1*     अब तुम्हारे लड़खड़ाने से क्या फ़ायदा...        जब हमने नशे में सम्भल कर चलना सीख लिया... 2*  मजिंल की तलाश में शायद नींद ग़ायब होने को मज़बूर हैं....     मैं समझ सकता हूँ !      नींद मुझे नही आ रही, तो इसमें भला तेरा क्या कुसूर हैं...   3*बड़ा ज़ालिम हैं यार मेरा, रोज़ सपने में आकर कहता हैं... कि चैन से सो जाना.....चैन से सो जाना....