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Showing posts from January, 2014

मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है ....

बाल सखा अंकित के साथ अपने घर की छत पर . चांद  को देखते हुए, और उनकी मनोदशा पर लिख गए .... सोचा की आपसे भी क्या छुपाना, बाकि राज़ की बात सारे मित्र जानते है ... उस चाँद को जब एक टक देखा तुम सा हसीं नही लगा ये ख़ता ही सही आंखों की  तो भी मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है .... मजबूरी नही, मेरा शौक  है ये वो चाहे, तो तारों को कम कर दे या मुझको! इश्क की बस इतनी सी कमजोरी मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है . ... कभी ख्वाब अकेले थे, तो कभी हम! अब न वो और न हम , अगर ये इश्क है तो भी - मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है  .... बस इतनी सी है दुआ तेरे रब से- कि बची जिंदगी गुजरे तेरे साथ शर्त सिर्फ इतनी सी है बस  , गर उसे मंजूर है तो मुझे भी मंजूर है ! बिना तेरे ये ऱौशनी किस काम की ? अब अगर चांद की है तो भी मंजूर है  .. ये बेबाकी मेरी, भले पसंद आए न तुम्हे.. पर किसी को भी समझ आएं तो भी मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है .... ये हवा का शोर और तेरी ख़ामोशी गर सिर्फ मेरे लिए है तो मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है .... "छोटा रावन

कभी बिना पिये ही आप शायर बन जाते है....@ जयपुर

1-कहीं खो सा गया हूं अंधेरों में, "मैं"... एक बात मान लो और मेरी  बस इतनी खिदमत काफी है कि... कभी पलके न खोल देना मेरी आंखो के सामने तुम.. खोया हुआ "मैं "तेरी आंखों मे देख कर कहीं फिर बिफर न जाऊं..... 2-और इबादत करूं तो किस बात के लिए... तेरा चेहरा देख लूं तो जन्नत नसीब हो जाए... 3-जिंदगी के मायनों को तुम बदल न सके... एक तुम न बदले बाकि सारे मायने बदल गए.... 4-उस अश्क से अब बस इतनी गुजारिश है...कि सपने में ना दिखा करे ... कुछ पागल आज भी आशिक है, सपनों में ही बाहें समेटे तु्म्हे पाने के लिए फिर से सो जाते है.... 5-कुछ रंग बिरंगी उम्मीदो की पतंगे कभी हम भी उड़ाया करते थे मज़े से... आज न जाने क्यों आसमा को हमने खाली नीला छोड़ दिया.... 6-उफ्फ ये रो-रो कर माथा पीटने वाले लोग... समझते नही है कि इश्क का एक मुकाम ये भी है....