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Showing posts from February, 2016

देशद्रोह! आरोप छोटा तो नही....

जे.एन.यू राजनीतिक अखाड़ा है कि नही हमें पता नही ।  लेकिन कहीं लोकविमर्श हो तो ये बुरा कैसे है। आप मुद्दा उठाओं ,चर्चा करो, सवाल पूछों, सभा करो कोई समस्या नही है।  लेकिन झंडे के आ़ड़ में वो चाहे लाल सलाम का हो या संघी भगवा या कोई और फलाना । देश विरोधी नारे कतई बर्दाश्त नही करेंगे। जिसको देश से प्यार हो वो यहां रहे, वरना निकल ले पाकिस्तान, अफ्गानिस्तान,भूटान या चाहे जहां । लेकिन भारत में यह बर्दाश्त नही किया जाएगा।  कहीं सड़क चौराहे पे पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते मिल गए तो कसम से देखना सड़क पर खड़ा हर व्यक्ति (लप्पड़,थप्पड,रहपटा,कंटाप) जमा के मारेगा। और उसे पता भी नही होगा कि मार्क्स कौन है या फलाने कौन है। और उसे कुछ नही लेना देना विचारधारा से। फिलहाल यहां कुछ वीडियो शेयर कर रहा हूं आपको आपका मत बनाने में मदद कर सकता है।  

पूरे देश की सांस एक ही वेंटीलेटर पर अटकी।

सियाचीन में 3 फरवरी को 800*400 फीट की बर्फ की  दीवार अचानक सोनम पोस्ट पर आ गिरी ।  अचानक आयी इस आपदा में देश के 10 जवानों को ज़मींदोज कर दिया। जिनमें 9 के मृत शवों को प्राप्त कर लिया गया। किन्तु कर्नाटक के एक जवान हनमनथप्पा को जीवित पाया गया। यह जवान पिछले 6 दिनों से 35 फीट बर्फ के नीचे दबा हुआ था। 150 से ज्यादा लोगों की टीम और दो कुत्तों के माध्यम से यह आपदा प्रबंध का कार्य संचालित हो सका। 6 दिनों तक बिना कुछ खाए इतने गहरे तक बर्फ में धंसे इस सैनिक पर नाज़ होना लाज़मी है। हैरत में पड़ गए न। मेरा भी यही हाल था जब यह खबर सुनी। विशेषज्ञों की माने तो ब्लू स्नो या नीली बर्फ किसी कंक्रीट की तरह स़ख्त होती है। स्नोवॉल का गिरना भी यदा कदा ही संभव है। कयास लगाने वाले गला चीर-चीर के कह रहे है कि कोई एअर बबल यानि हवा का बुलबुला बन गया होगा जिससे जवान के शरीर की ऑक्सीजन की पूर्ती हो पायी होगी। कुछ का कहना है कि स्नोवॉल के गिरने से ही हनमनथप्पा कोमा में चले गए होगे जिससे उनके शरीर को कार्यप्रणाली सुचारू रूप से चलाए जाने के लिए कम ऑक्सीजन की आवश्यक्ता पड़ी होगी। कयास में जीने से कोई फायदा नही।