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Showing posts from March, 2017

नाइजीरिया के लोगों को झुंड में पीटकर हम दुनिया को कौन सा चेहरा दिखा रहे हैं??

नोएडा कहिए, नवेड्डा कहिए या गौतम बुद्ध नगर. इस जगह के जितने भी नाम हों, लेकिन इसके आचरण में बुद्ध का लेशमात्र भी नहीं है. NCR का ये हिस्सा पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है. मनीष खारी नाम के 12वीं के छात्र की मौत के बाद यहां भूचाल सा आ गया. बच्चे की मौत से गुस्साए स्थानीय लोगों ने यहां रहने वाले नाइजीरियाई मूल के लोगों की बड़ी बेरहमी से पिटाई की. 'अतिथि देवो भव:' की संस्कृति वाले इस देश में हमने पूरे दिन टीवी चैनलों पर देखा कि कैसे नाइजीरिया के मेहमानों को घेर-घेरकर उनकी हड्डी-पसली एक कर दी. सड़क पर, पान या चाय की दुकान पर ऐसे नजारे हम भारतीयों के लिए आम हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ, जब लोगों ने शॉपिंग मॉल में ऐसी पशुता दिखाई हो. यकीनन, इस पर यकीन करना मुश्किल था. लोगों के हाथ में कुर्सी, रॉड या जो भी चीज आ रही थी, वो उससे पिटाई कर रहे थे. बाकी खड़े लोग सिर्फ तमाशा देख रहे थे. पुलिस के लाठीचार्ज से पहले किसी ने बीच-बचाव करने की जहमत नहीं उठाई. नोएडा में सिर्फ नाइजीरियाई लड़कों ही नहीं, बल्कि लड़कियों के साथ भी वही हिंसक सलूक हुआ. लड़कियों पर हाल ही में सबसे ताक

यू.पी में योगी का राजयोग और मोदी मैजिक

उत्तर प्रदेश में सत्ता का पहिया केसरिया रंग से सराबोर हो गया है। अजय सिंह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली है। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत साल 1998 में सबसे कम उम्र के सांसद बनने से शुरू हुई थी। अब वो अखिलेश के बाद यूपी के दूसरे सबसे युवा सीएम बन गए हैं। योगी के शपथ ग्रहण समारोह से सूबे में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पिछले सप्ताह से चल रहे मुख्यमंत्री के मंथन में पब्लिक स्फेयर का चिंतन कुछ और कहानी बयां कर रहा है। राजधानी लखनऊ में अलग तरह का माहौल दिख रहा है। जनता के मुंह पर भला किसका फेविक्विक लग पाया है। बीजेपी को 322 सीटें मिलने का संदेश साफ है कि जनता ने पार्टी का केसरिया साम्यवाद स्वीकार कर लिया है. नतीजे वाले दिन से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि लखनऊ की गद्दी पर किसे बिठाया जाएगा. अब जबकि योगी का 'चयन' हो गया है, तो एक राजनीतिक धड़ा इस फैसले से पूरी तरह खुश है, तो कुछ वर्ग रोने का अलाप लगा रहे हैं। वैसे बीजेपी के फायर ब्रांड नेता योगी की छवि के पीछे लोगों के अपने नजरिये भी हैं। मसलन, किसी का कहना कि कट्टर हिंदूवाद को सहारा मि

यूपी चुनाव विशेष: चुनावी जुमलेबाजी में उबलती राजनीति

                         जातियों की बुनावट में लिपटी देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजनीति इस बार भी नए रंग बिखेर रही है। होली के रंग आपको पसंद हों या न हों, लेकिन रंग खेलने वालों को आप नहीं रोक सकते, चुनाव भी ऐसे ही होते हैं। आप तरह-तरह के उपाय मसलन पानी बचाना, गो ग्रीन, नेचुरल कलर जैसी बातें करते हैं, लेकिन आखिर में रायते में लिपट ही जाते हैं। इस बार के पब्लिक स्फेयर में हमने यूपी की सियासत में बेलगाम होते जुमलों, कटाक्ष और भाषणों को शामिल किया गया है। विधानसभा चुनाव 2017 में यूपी में चल रही मुंहजुबानी जंग किसी विश्वयुद्ध से कम नहीं है,'रेनकोट पहनकर नहाने की कला' से लेकर 'श्मशान-कब्रिस्तान के विकास तक', नेताओं की बद्जुबानी चुनावभर छाई रही। किसी ने कहा कि यूपी ने उसे गोद लिया है, तो जवाब आया कि जहां बाप-बेटे की नहीं बनती, वहां गोद लिए हुए को कौन याद रखेगा। लेकिन सियासी फायदे के लिए शुरू होनी वाली ये जुबानी जंग सामाजिक चेतना और मर्यादा को तार-तार करती नजर आती है,इसकी किसी को फिक्र नहीं है। अपने पसंदीदा नेता के किसी कटाक्ष पर समर्थक ऐसे खुश होते हैं,