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Showing posts from June, 2017

क्या इसी बदलाव का सपना देख रहे थे सारे भारतीय

     कई मुस्लिम परिवारों में ईद से पहले अपने बच्चों का इंतजार हो रहा था, लेकिन सबका इंतजार पूरा नहीं हुआ. ईद से दो दिन पहले किसी अब्बा को पता चलता है कि घर से बाहर गया उनका बेटा अब नहीं रहा. इस बात को वो शायद किसी तरह हजम भी कर लेते, लेकिन उन्हें इसका क्रूरतम रूप देखने को मिला. एक पिता को खबर मिली कि उनके बेटे जुनैद को ट्रेन में पीट-पीटकर मार डाला गया. वो ट्रेन दिल्ली से बल्लभगढ़ होते हुए मथुरा जा रही थी. जुनैद ने कुर्ता पहन रखा था. उसके सिर पर टोपी और चेहरे पर दाढ़ी थी. हत्यारों को उसकी बातों से ज्यादा शायद उसके हुलिए से तकलीफ थी. अब इसके असर के बारे में सोचिए. भारतीय राजनीति में जातिवाद हमेशा घुला रहा है, लेकिन धर्मों का सैन्यकरण समाज को हाशिए पर ले जाकर खड़ा कर देगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं था. अगर किसी को रहा भी होगा, तो वो इग्नोर करके आगे बढ़ गया. हाशिम, जुनैद, मोईन और शाकिर दिल्ली से ईद की खरीदारी करके मथुरा लौट रहे थे. ट्रेन में कुछ लोगों ने उन पर गोमांस ले जाने का आरोप लगाया और गद्दार कहा. उनकी दाढ़ी पकड़ने (नोचने) की कोशिश की गई. जिन लोगों को इसका विरोध करना