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एक तरफा ....{कुछ पंक्तियाँ}



1-   बस,सोचने के लिए ये जिंदगी बची है अब 

       करने की उम्र तो कब की निकल गई   



2-   सब कुछ कह कर भी वो अनजान बन गए..


      और ईमानदार बनने के कसीदे अब तक पढ़ते है... 




3-  अब और कैसे कहे कि प्यारे हो तुम...

     मल्टीमीडिया फोन होता तो वॉल पेपर लगा लेते...


4- उसके आने से ऐतराज़ कई को है

    वक्त से न जाने से  ऐतराज़ कई को है

    बेवक्त मेरे आने पर ऐतराज़ करने वालों

    तुम्हारे घर पर कई लोगों के आने से ऐतराज़ कई को है। 

 5- रोज़ कि बात ही कुछ अलग है, हम रोज़ मुस्कराया करते थे।
     लोगों की नज़रों से अक्सर, हम लोग शर्माया करते थे। 

जला के खाक हम दुनिया की, अक्सर रूह में समाया करते थे। 
बेगैरत जिंदगी रही तो क्या हुआ, हम दुआओं में आया करते थे। 





      

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