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मिस्डकॉल वाले कार्यकर्ता (बात डायरेक्ट दिल से)

भारत,चुनाव और चाय ये अनूठा मिश्रण हमें हर जगह देखने को मिल जाता है। लोकविमर्श की बात करे तो आप पाएंगें कि इस समय यह चर्चा आम हो चुकी है। इस विषय पर कुछ लिखा जाए ये सोचा ही था। की- बोर्ड का सिपाही तैनात हुआ ही कि एक बड़े चैनल के बड़े पत्रकार ने इस मुद्दे को प्राइमटाईम में उठा दिया। मेरी समझ भी शायद अब इस मुद्दें पर कुछ हद तक साफ हो गई।
 बी.जे.पी का एक अभियान आजकल गली, मोहल्लों में चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ कार्यकर्ता आपके घर आ चुके होंगे या आने वाले होंगे। वो आपसे आपका हाल-चाल पूछते है और आपके निजी फोन न.(मोबाइल न.) से एक नम्बर पर मिसकॉल करने का आग्रह करते है। आपको ये बताते हुए कि इससे आप पार्टी के मेंबर बन गए है और ये है आपका सदस्यता नंबर।  इस सारी प्रक्रिया के दौरान महाशय अपनी मजबूरी बताते दिखेंगे कि पार्टी का काम है करना पड़ता है। प्रयास करेंगे कि आपके घर में जितने भी सदस्य है सबको पार्टी के सदस्य में बदल दे।
समस्या इस बात कि नही है कि आप पार्टी के सदस्य बन जाते है। समस्या इस बात से है कि पार्टी ने इसके लिए क्या सिर्फ ये अहर्ता रखी है कि आपके पास एक फोन होना चाहिए?
 क्या इतनी अहर्ता से आपको पार्टी का सदस्य मान लिया जाना चाहिए?
किसी भी पार्टी की एक विचारधारा होती है, अपने सिद्धांत होते है। क्या सिर्फ एक मिसकॉल ये साबित करेगी कि आप उस तरह की विचारधारा या सिद्धांत में विश्वास रखते हैं। गांधी जी भी कहा करते थे कि कांग्रेस में शामिल होने के लिए व्यक्ति को चरखे से सूत काटना आना चाहिए। और कसम से आज तक गांधी जी के बाद किसी को चरखे से सूत काटते नही देखा। अब सवाल ये उठाना लाज़मी सा हो जाता है कि इस तरह के मिसकॉल से बी.जे.पी को क्या फायदा?
·         सदस्यों की संख्या में वृद्धि होगी।
·         सीधे मतदाता से जुड़ेंगे।
·         सूचना को सीधे पहुचाया जा सकता है।
·         आंकड़ों को दिखा के दूसरो को भी प्रभावित किया जायेगा

 लेकिन सच में ऐसा है क्या ? अभी हाल ही आकड़ों को देखिए साढ़े सात करोड़ सदस्य बीजेपी ने अपने इस अभियान के द्वारा बनाए जिनको कहीं-कहीं नौ करोड़ भी प्रदर्शित किया जा रहा है। जबकि तर्क ये कहता है कि पिछले चुनाव में साढ़े 17 करोड़ वोट बीजेपी को मिले थे। दोनो आकड़ों की तुलना से आप समझ सकते है कि या तो अभी तक सारे वोटर सदस्य नही बन पाए है या बीजेपी का वोटर अब किसी और पार्टी की विचारधारा से प्रभावित हो चुका है।
बीजेपी के संबित पात्रा जी का बयान भी पढ़ लीजिए पार्टी के कार्यकर्ता इन सभी सदस्यों के घर जाकर 22 प्वांइट के एक फार्म को आपकी फोटो के साथ भरेंगे’’ मेरे पास या मेरे किसी भी जानने वाले के पास अभी तक कोई ऐसा कार्यकर्ता नही पहुंचा है।
  अब बात करते है कि यदि कोई व्यक्ति सदस्य बन गया तो उसकी राइट ऑफ रिजाइन की प्रक्रिया क्या होगी। आप किस तरह से इस लफड़े से बाहर निकल सकते है।

मेरी जानकारी के हिसाब से अभी तक इसका कोई उपाय नही सुझाया गया है। आने वाले चुनाव में ये मिस्डकॉल वाले सदस्य क्या भूमिका निभाएंगे ये आने वाले समय के साथ ही पता चलेगा। लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी की सदस्यता के लिए कुछ अर्हताओं का होना अनिवार्य होना चाहिए वो क्या होनी चाहिए उस पर अगली बार चर्चा करते है।

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