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Showing posts from September, 2009

आलेख:: आंतरिक सुरक्षा एवं भारत(विशेष रणनीति व विधायी उपाय)

वर्ष २००८ के नवम्बर माहमें देश की वित्तीय राजधानी मुम्बई में कायरतापूर्ण हमलों ने देश को झकझोर दिया । इन हमलों के कारण लोगों में न केवल जागरूकता पैदा हुई अपितु परिणामोन्मुख तरीके से सुरक्षा उपकरणों को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता मह्सूस हुई ।  नई दिल्ली में आंतरिक सुरक्षा के बारे में आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन मे आतंकवादी खतरे से निबटने की रूपरेखा तैयार की गयी । उन्होंने राष्ट्र के लिए दो लक्ष्य निर्धारित किए । पहला दिनोंदिन बढत़ी जा रही अत्याधुनिक आतंकवादी धमकी से निबटने के लिए तैयारी का स्तर ऊंचा करना और दूसरा, किसी आतंकवादी खतरे या आतंकवादी धमकी की अनुक्रिया की गति या निर्णयात्मकता को और अधिक बढा़ना । इन दोनों लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मुम्बई की घटनाओं के बाद सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं ।  आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम 2008 अन्य बातों के अलावा राज्य सरकारों द्वारा पीड़ितों के लिए क्षतिपूर्ति की एक व्यापक योजना बनाई गई है ताकि ऐसे अपराधों में, जिसमें सात वष तक कारावास दंड दिया जाता है, मामलों के बार-बार स्थगन के कारण मुकदमों के शीघ्र निबटान की कठिनाइयों, श्

भारत में शिक्षा और साक्षरता

भारत में शिक्षा और साक्षरता बदलती वैश्विक प्रतिस्पर्धा में ज्ञानवान समाज की आवश्यकता By Dr. Divya Author is an expert and analyst of social and political issues Part -5 माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा की मांग माध्यमिक शिक्षा, शैक्षिक परम्परा में एक जटिल श्रेणी को संभालती है क्योंकि यह छात्रों को न केवल उच्चतर शिक्षा के लिये बल्कि बड़े स्तर पर जिन्दगी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है। इसके अतिरिक्त व्यक्तित्व में विशेष रूप देने के अलावा इस स्तर की शिक्षा उत्पादकता के व्यक्तिगत स्तर को भी बढा़ती है। पिछले कुछ वर्षो में, खासतौर पर समाज के अलाभकारी तबकों में प्राथमिक शिक्षा के दाखिलों में हुई महत्वपूर्ण वृद्धि और अवधारण दर में सुधार ने देश में माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र की ओर आश्चर्यजनक रूप से ध्यान आकर्षित किया है।सर्व शिक्षा अभियान (प्राथमिक शिक्षा का व्यापक विस्तार) की सफलता के कारण माध्यमिक शिक्षा पर पहले से ही दबाव महसूस किया जा रहा है साथ ही भारत के प्रभावी और दीर्घकालीन आर्थिक विकास ने भी माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा की मांग को बढा़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ-साथ म

महिला आरक्षण विधेयक

महिला आरक्षण विधेयक (नारी सशक्तीकरण का प्रतीक) By Dr. Divya Author is an expert and analyst of social and political issues पंद्रहवीं लोकसभा के पहले सत्र मे 4 जून 2009 को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में घोषणा की कि सरकार विधानसभाओं और संसद में महिलाआरक्षण विधेयक को शीघ्र पारित कराने की दिशा में सौ दिन के भीतर कदम उठायेगी. संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने महिला आरक्षण को लेकर सरकार की मंशा सामने रखी. राष्ट्रपति के अनुसार महिलाओ को वर्ग, जाति और महिला होने के कारण अनेक अवसरों से वंचित रहना पड़ता है. इसलिए पन्चायतों और शहरी स्थानीय निकाय में आरक्षण बढ़ाकर महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए अगले 100 दिन में संवैधानिक संशोधन करने के क़दम उठाए जाएँगे ताकि अधिक से अधिक महिलाएँ सार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश कर सकें. सरकार अगले 100 दिनों में केंद्र सरकार की नौकरियों में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की कोशिश करेगी. इसके साथ-साथ बेहतर समन्वय के लिए महिला सशक्तिकरण पर एक राष्ट्रीय मिशन स्थापित करने का क़दम उठाया जाएगा. 15वीं ल