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Showing posts from September, 2013

अनुभव

हर बार की तरह फिर यही हुआ.. पहले जितना था बुरा, उससे ज्यादा हुआ. शोहबतो का असर हुआ कुछ इस कदर ! फिर न पूछो कि क्या और क्यों हुआ... हम बुरे थे तो बुरे ही सही ,एक बात बताओं? अच्छा बन कर तुमने क्या किया... चार मुंह थे और बीसो बातें. हम चुप रहे तो बुरा क्या हुआ... सबकी बातों का जवाब देना जरूरी तो नही. अपनो को समझ में आ जाए तो बुरा क्या हुआ... महफिलों में उजाले थे और भी बेहतर.. दिलो में  है अंधेरे तो मत पूछो कि बुरा क्या हुआ... हम तो दोस्ती में जान देने को उतारू थे, पर  ऐ "रावन". फिर पुराने अनुभवों से मत पूछना कि बुरा क्या हुआ... "छोटा रावन"