1* अब तुम्हारे लड़खड़ाने से क्या फ़ायदा... जब हमने नशे में सम्भल कर चलना सीख लिया... 2* मजिंल की तलाश में शायद नींद ग़ायब होने को मज़बूर हैं.... मैं समझ सकता हूँ ! नींद मुझे नही आ रही, तो इसमें भला तेरा क्या कुसूर हैं... 3*बड़ा ज़ालिम हैं यार मेरा, रोज़ सपने में आकर कहता हैं... कि चैन से सो जाना.....चैन से सो जाना....
विवरण भला किसी का कहीं दिया जा सकता है? जैसा जिसका नज़रिया वैसा उसका विवरण। खैर अब जब लिखने की फार्मेल्टी करनी ही है तो लीजिए- पेशे से शिक्षक और दिल से "पत्रकार" ये थोड़ा डेडली मिश्रण जरूर है लेकिन चौकाने वाला भी नही। समसामयिक घटनाओं के बारे में मेरी निजी राय क्या है वो यहां उपलब्ध है। आप सभी के विचारों का स्वागत है। मेरे बारे मेें जानने के लिए सिर्फ इसे समझे- (open for all influence by none! )