कई मुस्लिम परिवारों में ईद से पहले अपने बच्चों का इंतजार हो रहा था, लेकिन सबका इंतजार पूरा नहीं हुआ. ईद से दो दिन पहले किसी अब्बा को पता चलता है कि घर से बाहर गया उनका बेटा अब नहीं रहा. इस बात को वो शायद किसी तरह हजम भी कर लेते, लेकिन उन्हें इसका क्रूरतम रूप देखने को मिला. एक पिता को खबर मिली कि उनके बेटे जुनैद को ट्रेन में पीट-पीटकर मार डाला गया. वो ट्रेन दिल्ली से बल्लभगढ़ होते हुए मथुरा जा रही थी. जुनैद ने कुर्ता पहन रखा था. उसके सिर पर टोपी और चेहरे पर दाढ़ी थी. हत्यारों को उसकी बातों से ज्यादा शायद उसके हुलिए से तकलीफ थी. अब इसके असर के बारे में सोचिए. भारतीय राजनीति में जातिवाद हमेशा घुला रहा है, लेकिन धर्मों का सैन्यकरण समाज को हाशिए पर ले जाकर खड़ा कर देगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं था. अगर किसी को रहा भी होगा, तो वो इग्नोर करके आगे बढ़ गया. हाशिम, जुनैद, मोईन और शाकिर दिल्ली से ईद की खरीदारी करके मथुरा लौट रहे थे. ट्रेन में कुछ लोगों ने उन पर गोमांस ले जाने का आरोप लगाया और गद्दार कहा. उनकी दाढ़ी पकड़ने (नोचने) की कोशिश की गई. जिन लोगों को इ...
विवरण भला किसी का कहीं दिया जा सकता है? जैसा जिसका नज़रिया वैसा उसका विवरण। खैर अब जब लिखने की फार्मेल्टी करनी ही है तो लीजिए- पेशे से शिक्षक और दिल से "पत्रकार" ये थोड़ा डेडली मिश्रण जरूर है लेकिन चौकाने वाला भी नही। समसामयिक घटनाओं के बारे में मेरी निजी राय क्या है वो यहां उपलब्ध है। आप सभी के विचारों का स्वागत है। मेरे बारे मेें जानने के लिए सिर्फ इसे समझे- (open for all influence by none! )