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कभी बिना पिये ही आप शायर बन जाते है....@ जयपुर

1-कहीं खो सा गया हूं अंधेरों में, "मैं"... एक बात मान लो और मेरी  बस इतनी खिदमत काफी है कि... कभी पलके न खोल देना मेरी आंखो के सामने तुम.. खोया हुआ "मैं "तेरी आंखों मे देख कर कहीं फिर बिफर न जाऊं..... 2-और इबादत करूं तो किस बात के लिए... तेरा चेहरा देख लूं तो जन्नत नसीब हो जाए... 3-जिंदगी के मायनों को तुम बदल न सके... एक तुम न बदले बाकि सारे मायने बदल गए.... 4-उस अश्क से अब बस इतनी गुजारिश है...कि सपने में ना दिखा करे ... कुछ पागल आज भी आशिक है, सपनों में ही बाहें समेटे तु्म्हे पाने के लिए फिर से सो जाते है.... 5-कुछ रंग बिरंगी उम्मीदो की पतंगे कभी हम भी उड़ाया करते थे मज़े से... आज न जाने क्यों आसमा को हमने खाली नीला छोड़ दिया.... 6-उफ्फ ये रो-रो कर माथा पीटने वाले लोग... समझते नही है कि इश्क का एक मुकाम ये भी है....

अनुभव

हर बार की तरह फिर यही हुआ.. पहले जितना था बुरा, उससे ज्यादा हुआ. शोहबतो का असर हुआ कुछ इस कदर ! फिर न पूछो कि क्या और क्यों हुआ... हम बुरे थे तो बुरे ही सही ,एक बात बताओं? अच्छा बन कर तुमने क्या किया... चार मुंह थे और बीसो बातें. हम चुप रहे तो बुरा क्या हुआ... सबकी बातों का जवाब देना जरूरी तो नही. अपनो को समझ में आ जाए तो बुरा क्या हुआ... महफिलों में उजाले थे और भी बेहतर.. दिलो में  है अंधेरे तो मत पूछो कि बुरा क्या हुआ... हम तो दोस्ती में जान देने को उतारू थे, पर  ऐ "रावन". फिर पुराने अनुभवों से मत पूछना कि बुरा क्या हुआ... "छोटा रावन"