जे.एन.यू राजनीतिक अखाड़ा है कि नही हमें पता नही । लेकिन कहीं लोकविमर्श हो तो ये बुरा कैसे है। आप मुद्दा उठाओं ,चर्चा करो, सवाल पूछों, सभा करो कोई समस्या नही है। लेकिन झंडे के आ़ड़ में वो चाहे लाल सलाम का हो या संघी भगवा या कोई और फलाना । देश विरोधी नारे कतई बर्दाश्त नही करेंगे। जिसको देश से प्यार हो वो यहां रहे, वरना निकल ले पाकिस्तान, अफ्गानिस्तान,भूटान या चाहे जहां । लेकिन भारत में यह बर्दाश्त नही किया जाएगा। कहीं सड़क चौराहे पे पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते मिल गए तो कसम से देखना सड़क पर खड़ा हर व्यक्ति (लप्पड़,थप्पड,रहपटा,कंटाप) जमा के मारेगा। और उसे पता भी नही होगा कि मार्क्स कौन है या फलाने कौन है। और उसे कुछ नही लेना देना विचारधारा से। फिलहाल यहां कुछ वीडियो शेयर कर रहा हूं आपको आपका मत बनाने में मदद कर सकता है।
विवरण भला किसी का कहीं दिया जा सकता है? जैसा जिसका नज़रिया वैसा उसका विवरण। खैर अब जब लिखने की फार्मेल्टी करनी ही है तो लीजिए- पेशे से शिक्षक और दिल से "पत्रकार" ये थोड़ा डेडली मिश्रण जरूर है लेकिन चौकाने वाला भी नही। समसामयिक घटनाओं के बारे में मेरी निजी राय क्या है वो यहां उपलब्ध है। आप सभी के विचारों का स्वागत है। मेरे बारे मेें जानने के लिए सिर्फ इसे समझे- (open for all influence by none! )