नोएडा कहिए, नवेड्डा कहिए या गौतम बुद्ध नगर. इस जगह के जितने भी नाम हों, लेकिन इसके आचरण में बुद्ध का लेशमात्र भी नहीं है. NCR का ये हिस्सा पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है. मनीष खारी नाम के 12वीं के छात्र की मौत के बाद यहां भूचाल सा आ गया. बच्चे की मौत से गुस्साए स्थानीय लोगों ने यहां रहने वाले नाइजीरियाई मूल के लोगों की बड़ी बेरहमी से पिटाई की. 'अतिथि देवो भव:' की संस्कृति वाले इस देश में हमने पूरे दिन टीवी चैनलों पर देखा कि कैसे नाइजीरिया के मेहमानों को घेर-घेरकर उनकी हड्डी-पसली एक कर दी. सड़क पर, पान या चाय की दुकान पर ऐसे नजारे हम भारतीयों के लिए आम हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ, जब लोगों ने शॉपिंग मॉल में ऐसी पशुता दिखाई हो. यकीनन, इस पर यकीन करना मुश्किल था. लोगों के हाथ में कुर्सी, रॉड या जो भी चीज आ रही थी, वो उससे पिटाई कर रहे थे. बाकी खड़े लोग सिर्फ तमाशा देख रहे थे. पुलिस के लाठीचार्ज से पहले किसी ने बीच-बचाव करने की जहमत नहीं उठाई. नोएडा में सिर्फ नाइजीरियाई लड़कों ही नहीं, बल्कि लड़कियों के साथ भी वही हिंसक सलूक हुआ. लड़कियों पर हाल ही में सबसे ताक...
विवरण भला किसी का कहीं दिया जा सकता है? जैसा जिसका नज़रिया वैसा उसका विवरण। खैर अब जब लिखने की फार्मेल्टी करनी ही है तो लीजिए- पेशे से शिक्षक और दिल से "पत्रकार" ये थोड़ा डेडली मिश्रण जरूर है लेकिन चौकाने वाला भी नही। समसामयिक घटनाओं के बारे में मेरी निजी राय क्या है वो यहां उपलब्ध है। आप सभी के विचारों का स्वागत है। मेरे बारे मेें जानने के लिए सिर्फ इसे समझे- (open for all influence by none! )