जातियों की बुनावट में लिपटी देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजनीति इस बार भी नए रंग बिखेर रही है। होली के रंग आपको पसंद हों या न हों, लेकिन रंग खेलने वालों को आप नहीं रोक सकते, चुनाव भी ऐसे ही होते हैं। आप तरह-तरह के उपाय मसलन पानी बचाना, गो ग्रीन, नेचुरल कलर जैसी बातें करते हैं, लेकिन आखिर में रायते में लिपट ही जाते हैं। इस बार के पब्लिक स्फेयर में हमने यूपी की सियासत में बेलगाम होते जुमलों, कटाक्ष और भाषणों को शामिल किया गया है। विधानसभा चुनाव 2017 में यूपी में चल रही मुंहजुबानी जंग किसी विश्वयुद्ध से कम नहीं है,'रेनकोट पहनकर नहाने की कला' से लेकर 'श्मशान-कब्रिस्तान के विकास तक', नेताओं की बद्जुबानी चुनावभर छाई रही। किसी ने कहा कि यूपी ने उसे गोद लिया है, तो जवाब आया कि जहां बाप-बेटे की नहीं बनती, वहां गोद लिए हुए को कौन याद रखेगा। लेकिन सियासी फायदे के लिए शुरू होनी वाली ये जुबानी जंग सामाजिक चेतना और मर्यादा को तार-तार करती नजर आती है,इसकी किसी को फिक्र नहीं है। अपने पसंदीदा ...
विवरण भला किसी का कहीं दिया जा सकता है? जैसा जिसका नज़रिया वैसा उसका विवरण। खैर अब जब लिखने की फार्मेल्टी करनी ही है तो लीजिए- पेशे से शिक्षक और दिल से "पत्रकार" ये थोड़ा डेडली मिश्रण जरूर है लेकिन चौकाने वाला भी नही। समसामयिक घटनाओं के बारे में मेरी निजी राय क्या है वो यहां उपलब्ध है। आप सभी के विचारों का स्वागत है। मेरे बारे मेें जानने के लिए सिर्फ इसे समझे- (open for all influence by none! )