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भारत में शिक्षा और साक्षरता


भारत में शिक्षा और साक्षरता
बदलती वैश्विक प्रतिस्पर्धा में ज्ञानवान समाज की आवश्यकता

By Dr. Divya
Author is an expert and analyst of social and political issues

Part -5

माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा की मांग
माध्यमिक शिक्षा, शैक्षिक परम्परा में एक जटिल श्रेणी को संभालती है क्योंकि यह छात्रों को न केवल उच्चतर शिक्षा के लिये बल्कि बड़े स्तर पर जिन्दगी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है। इसके अतिरिक्त व्यक्तित्व में विशेष रूप देने के अलावा इस स्तर की शिक्षा उत्पादकता के व्यक्तिगत स्तर को भी बढा़ती है। पिछले कुछ वर्षो में, खासतौर पर समाज के अलाभकारी तबकों में प्राथमिक शिक्षा के दाखिलों में हुई महत्वपूर्ण वृद्धि और अवधारण दर में सुधार ने देश में माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र की ओर आश्चर्यजनक रूप से ध्यान आकर्षित किया है।सर्व शिक्षा अभियान (प्राथमिक शिक्षा का व्यापक विस्तार) की सफलता के कारण माध्यमिक शिक्षा पर पहले से ही दबाव महसूस किया जा रहा है साथ ही भारत के प्रभावी और दीर्घकालीन आर्थिक विकास ने भी माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा की मांग को बढा़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ-साथ माध्यमिक शिक्षा की भूमिका के प्रति जागरूकता में वृद्धि हुई है विशेषकर बालिका के मामले में, सकारात्मक समाजिक दृष्टिकोण को बल मिला है। माध्यमिक शिक्षा को सर्वव्यापक रूप देने की इच्छा का कार्यान्वयन बढऩे से इसमें सभी की बड़े तौर पर भागीदारी को बल मिला है। अन्य शब्दों में, आज की चुनौती यह है कि माध्यमिक शिक्षा की पहुँच और स्तर में सशक्त रूप से सुधार कैसे किया जाए। 

भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी से बढत़ी वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, भारत में जनसांख्यिक लाभ, समाजिक और आर्थिक विकास में शिक्षा का केन्द्रीयकरण, गरीबी उन्मूलन में शिक्षा की भूमिका और शिक्षा के सभी महत्वपूर्ण प्रभावों को 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-08 से 2011-12) में शामिल किया गया है, इनके लिए कुल योजना प्रारूप के 19.4 प्रतिशत का योगदान करते हुए शिक्षा के लिए 2,89,000 करोड़ रूपए आबंटित किये जा चुके हैं। 10वीं योजना में 7.7 प्रतिशत के मुकाबले यह एक जबरदस्त वृद्धि है। एक चरणबद्ध और दीर्घकालीन तरीके से माध्यमिक शिक्षा को सर्वव्यापक बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के मददेनजर, 11वीं पंचवर्षीय योजना में माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र के लिए आबंटन को 53,550 करोड़ तक बढा़ दिया गया है जो 10वीं पंचवर्षीय योजना के आबंटन 4,325 करोड़ के मुकाबले एक भारी वृद्धि को दिखाता है। इस 12 गुना से अधिक की वृद्धि में मौजूदा योजनाओं के प्रारूप में संशोधन, हस्तक्षेप और व्यापकता विस्तार और उन पर अधिक ध्यान देने के अलावा कुछ नयी योजनाओं की श्रृंखलाएं भी शामिल की गई हैं। माध्यमिक शिक्षा के महत्व का इस तथ्य से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि 11वीं योजना में शिक्षा क्षेत्र के लिए आबंटित कुल केन्द्रीय योजना का 19.9 प्रतिशत हिस्सा इसमें रखा गया है जो 10वीं योजना में मात्र 9.9 प्रतिशत था। 

11वीं योजना के दौरान केवल माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र में ही कुल मिलाकर आठ महत्वपूर्ण योजनाओं को चलाये जाने से यह एक सर्वाधिक सक्रिय, परिवर्तनात्मक और संयोग क्षेत्र बन गया है। नई योजनाएं जो पहले से ही प्रारम्भ की जा चुकी हैं अथवा क्रम में हैं इस प्रकार से हैं : (1) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (2) आदर्श विद्यालय (3) राष्ट्रीय सूची क्रम के आधार पर छात्रवृत्ति (4) माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं को प्रोत्साहन (5) बालिका छात्रावास (6) विद्यालयों में आईसीटी (7) विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा (8) माध्यमिक शिक्षा का व्यवसायीकरण। इन योजनाओं के माध्यम से व्यक्तिगत रूप के साथ ही साथ सामूहिक तौर पर समूचे माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र की पहुँच, निष्पक्षता और स्तर से संबंधित मुददों का समाधान किया जाएगा। 

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान 
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान अथवा एसयूसीसीईएसएस (माध्यमिक स्तर पर व्यापक पहुँच और स्तर में सुधार की योजना), कही जाने वाली यह योजना व्यापक क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि के माध्यम से माध्यमिक स्तर तक पहुँच बनाने की एक केन्द्र प्रायोजित योजना है ताकि 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक किसी भी रिहाईश के पांच किलोमीटर के दायरे में एक उच्च विद्यालय होगा। इसके मुख्य उद्देश्यों में कक्षा 9 व 10 में 2005-06 के 52.26 प्रतिशत से 2012 तक 75 प्रतिशत तक के दाखिले प्रतिशत को बढा़ना और 2011-12 तक अनुमानित 63 लाख अतिरिक्त दाखिलों के लिए सुविधाएँ प्रदान करने हेतु मौजूदा 44,000 सरकारी उच्च विद्यालयों को मजबूती प्रदान करना,करीब 12,000 नये उच्च विद्यालयों की शुरूआत, 2.50 लाख अतिरिक्त शिक्षकों की भर्ती और 1.33 लाख अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण करना शामिल है। यह योजना राज्य विशेष प्रतिमानों के विकास पर आधारित है। योजना की मुख्य रणनीतियों में जरूरी बुनियादी सुविधायें और शिक्षण ज्ञान संसाधन के साथ प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, कम्प्यूटर कक्ष, शौचालय और योग्य शिक्षक शामिल हैं। योजना में शिक्षकों का नौकरी के दौरान प्रशिक्षण, प्रधानाध्यापकों की क्षमता का संवद्र्धन, व्यापक आधार पर पाठ्यक्रम, परीक्षा और शैक्षिक प्रशासन सुधार भी शामिल हैं। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा 2005 पहले से ही अपेक्षित पाठ्यक्रम सुधारों की दिशा में एक सही कदम है। योजना की सम्पूर्ण गतिविधि में एक मूल आवश्यकता के रूप में विद्यालयों को एक व्यापक माध्यमिक शिक्षा सूचना और प्रबंधन प्रणाली (एसईएमआईएस) के तौर पर विकसित करने की पूर्ण योजना को राज्यों द्वारा चलाया जा रहा है। 

इस योजना के लिए वर्ष 2008-09 के दौरान 2185 करोड़ रू० के बजट प्रावधान के साथ 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 20,120 करोड़ रूपए आबंटित किये जा चुके हैं।पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को किये गये संबोधन के दौरान की गई घोषणा को आगे बढा़ते हुए, आदर्श विद्यालय की योजना में देश के प्रत्येक ब्लॉक में एक-विद्यालय जैसे 6,000 नए उच्च स्तरीय विद्यालयों को सहायता प्रदान करती है। ये विद्यालय ब्लॉक के अन्य विद्यालयों के लिए एक आदर्श व्यवस्था की भूमिका निभाएंगे। इन विद्यालयों में स्तरीय बुनियादी सुविधाएं, प्रेरक पाठ्क्रम, अध्यापन और मूल्याँकन व्यवस्था, प्रभावी और आईसीटी सहित शिक्षा तकनीकों का प्रेरक उपयोग, विद्यालय प्रबंधन और प्रशासन की एक उत्कृष्ट व्यवस्था होगी। इनमें से 3,500 विद्यालयों को सरकारी क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा जबकि 2,500 को सार्वजनिक-निजी साझेदारी के अंतर्गत स्थापित किया जाएगा। इस योजना के लिए 11वी पंचवर्षीय योजना में 12,750 करोड़ रूपए निर्धारित किये गये हैं और 2008-09 के लिए 650 करोड़ रूपए का बजट आबंटन हैं। यह उम्मीद है कि यह विद्यालय, संपूर्ण देश में फैले और एक अच्छा विद्यालय कैसा होना चाहिए इसका जीवंत उदाहरण बनें, और आस-पास के क्षेत्रों के विद्यालयों में सकारात्मक स्तरीय वातावरण को प्रदान करने की दिशा में कार्य करते हुए माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र में एक स्तरीय क्रांति को लाने का नेतृत्व सँभालें। 

राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना 
जहां एक ओर माध्यमिक शिक्षा व्यापकता में महत्वपूर्ण रूप से सुधार किये जाने की आवश्यकता है तो वहीं हमारे विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समानता का मुद्दा भी समाज में उतना ही महत्वपूर्ण है। समाज के अलाभकारी और समाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो के योग्य छात्रों को माध्यमिक शिक्षा से जोड़ने के लिए, केन्द्र सरकार ने कक्षा 9 के छात्रों के लिए प्रति वर्ष एक लाख नई छात्रवृत्तियां प्रदान करने की एक योजना की शुरूआत की है। प्रत्येक चुने गये छात्र को कक्षा 9 से 12 तक की पढा़ई के लिए प्रति माह 500 रूपए दिये जायेगें। यह कक्षा 8 उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को उच्चतर माध्यमिक स्तर तक पढा़ई जारी रखने के लिए अभिप्रेरित करने के उद्देश्य से की गई है। ज्यादातर राज्यों द्वारा छात्रों के पहले बैच के लिए चयन परीक्षा 16 अथवा 17 अगस्त, 2008 को आयोजित की जा रही है। यह उम्मीद की जाती है कि इस योजना के कारण उच्चतर प्राथमिक स्तर की समाप्ति के बाद अनेक योग्य छात्रों को शिक्षा से वंचित रह जाने से रोका जा सकेगा, और यह उन्हें आगे की शिक्षा जारी रखने के प्रति प्रेरित भी करेगी।

अनुसूचित जातिजनजाति की लड़कियों के लिए प्रोत्साहन योजना 
माध्यमिक शिक्षा में लैंगिक असमानता एक चिन्ता का विषय है। 2005-06 में, माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के दाखिले का अनुपात लड़कों के 57.72 प्रतिशत की तुलना में 46.23 प्रतिशत था। इसीप्रकार से, कक्षा 1 से 10 में विद्यालय की पढा़ई छोड़ने वाले लड़कों के 68 प्रतिशत की तुलना में लड़कियों का 73.7 प्रतिशत था। अनुसूचित जाति की लड़कियों के दाखिले का स्तर मात्र 32.6 प्रतिशत और पढा़ई छोड़ने के 79.8 प्रतिशत के उच्चतम स्तर को देखते हुए अनुसूचित जातिजनजाति की लड़कियों के मामले में असमानता का स्तर और ज्यादा चिन्ताजनक है।इस पृष्ठभूमि को देखते हुए, केन्द्र सरकार ने लड़कियों की उच्चतर भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक केन्द्र प्रायोजित योजना की शुरूआत की है। योजना के अंतर्गत, 3,000 रूपए की राशि सभी अनुसूचितजाति-जनजाति की लड़कियों और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों से कक्षा 8 को उत्तीर्ण करके कक्षा 9 में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में प्रवेश लेने वाली सभी लड़कियों के नाम जमा की जायेगी। लड़की की आयु 18 वर्ष होने पर यह राशि ब्याज सहित उसे अदा कर दी जायेगी ताकि वे कम से कम 10वीं कक्षा सफलतापूर्वक उतीर्ण कर सकें। 

बालिका छात्रावास योजना 
छात्राओं की भागीदारी को बढा़ने के विशेष उद्देश्य से एक अन्य योजना के अंतर्गत उन्हें छात्रावास सुविधा प्रदान करना है ताकि घर से विद्यालय की दूरी के कारण वे अपनी माध्यमिक शिक्षा को बीच में छोड़ न सकें। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकारों को देश के शैक्षिक रूप से पिछड़े करीब 35,00 चिहिन्त ब्लॉकों में एक 100 सीटों वाले छात्रावास के निर्माण में मदद दी जायेगी। इसके अंतर्गत अनुसूचित जातिजनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक औश्र गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों पर खास ध्यान देते हुए लक्षित समूह के तौर पर कक्षा 9 से 12 वीं तक पढऩे वाली छात्राओं को शामिल किया जाएगा। केन्द्र सरकार 11वीं योजना के दौरान छात्रावासों को बनाने के लिए आने वाली लागत के एक बड़े भाग में भी राज्य सरकार को सहयोग प्रदान करेगी। इस उद्देश्य के लिए 11वीं योजना में 2,000 करोड़ रूपए का आबंटन कर दिया गया है। 

विद्यालयों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी 
केन्द्र प्रायोजित योजना सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी)का शुभारंभ दिसम्बर, 2004 में किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च विद्यालय के छात्रों को आईसीटी साक्षरता प्रदान करना और शिक्षण के स्तर को प्रभावी तौर पर बढा़ने के लिए आईसीटी का उपयोग करना है। यह योजना छात्रों के बीच होने वाले विभिन्न समाजिक आर्थिक और अन्य भौगोलिक फासलों के मध्य एक महत्वपूर्ण सेतु हैं। यह योजना राज्योंसंघ शासित प्रदेशों को एक दीर्घकालीन आधार पर आईसीटी बुनियादी ढांचा स्थापित करने और इंटरनेट संपर्क स्थापित करने में मदद प्रदान करती है। इस योजना में वर्तमान में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दोनों शामिल हैं। कम्प्यूटरों, शैक्षिक सॉपटवेयरों की खरीद, शिक्षकों के प्रशिक्षण और इंटरनेट संपर्क में सहायता प्रदान की जाती है। प्रत्येक विद्यालय में कम से कम 10 कार्यस्थानों की क्षमता वाली एक कम्प्यूटर प्रयोगशाला भी शामिल है। बड़े विद्यालयों में प्रयोगशाला में कम से कम 40 कार्यस्थल स्टेशन होने चाहिए। परियोजना लागत को केन्द्र और आम श्रेणी वाले राज्यों के बीच 75:25 के अनुपात में और केन्द्र और विशेष राज्य श्रेणी में 90:10 के अनुपात में बांटा जाता है। 2007-08 के दौरान, 22,833 विद्यालयों को सहायता प्रदान की गई। इस योजना के लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना में आबंटन 6,000 करोड़ रूपए है। 11वी योजना के अंत तक देश के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों को आईसीटी सुविधायुक्त बनाने का प्रस्ताव है, ताकि इन विद्यालयों में शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया में बड़ा स्तरीय सुधार लाया जा सके। 

विकलांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षा 
आम विद्यालयों में कम विकलांग बच्चों को शिक्षा अवसर प्रदान करने और विद्यालय व्यवस्था में उनकी अवधारणा को सुनिश्चित करने की दृष्टि से विकलांग बच्चों के लिए संपूर्ण शिक्षा की केन्द्र प्रायोजित योजना 1974 में प्रारम्भ की गई थी। योजना के अंतर्गत, विकलांग बच्चों को पुस्तकों और स्टेशनरी के लिए भत्ते, वर्दी, सहायता उपकरण, परिवहन, पाठ्य पुस्तक, सुरक्षा और विद्यालय लाने ले जाने की सविधा दी जाती है। इस योजना के तहत विशेष शिक्षकों की भर्ती , गंभीर रूप से विकलांग बच्चों के लिए सहायक, पुरातनवादी परंपराओं को हटाते हुए संबद्ध निर्देश सामाग्री का उत्पादन भी शामिल है । 10वीं योजना के दौरान 28 राज्योंसंघ शासित प्रदेशों में योजना के अंतर्गत 2.84 लाख विकलांग बच्चों को शामिल किया गया। 200 से ज्यादा गैर सरकारी संगठन इस योजना के कार्यान्वयन में शामिल थे। वर्ष 2007-08 के अंत तक, 76.11 करोड़ रूपए के व्यय के साथ 31 राज्यों -संघशासित प्रदेशों के 3.6 लाख विकलांग बच्चों को इसमें शामिल किया गया। एक नई योजना "" माधयमिक स्तर पर विकलांगों के लिए विशेष शिक्षा '' की शुरूआत के लिए कदम उठा लिये गये हैं।

माधयमिक शिक्षा का व्यवसायीकरण 
माधयमिक शिक्षा का व्यवसायीकरण के केन्द्र प्रायोजित वर्तमान योजना का शुभारंभ 1988 में किया गया था और इसमें पहले से ही वार्षिक 10 लाख छात्रों के शामिल होने की क्षमता स्थापना के माधयम से 25,000 व्यवसायिक भागों के साथ 10,000 विद्यालय शामिल हैं। वर्तमान में, 150 पेशेवर पाठ्यक्रमों को चलाया जा रहा है। माधयमिक शिक्षा का व्यवसायीकरण योजना को जरूरतों के मुताबिक बनाने और अर्थव्यवस्था में मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर कम करने का प्रयास किया जा रहा है। उचित पाठ्क्रमों के साथ उच्चतर माधयमिक स्तर पर नये दक्षता आधारित पाठ्क्रमों की शुरूआत के अतिरिक्त, 10,000 नये व्यवसायिक विद्यालयों को खोलने का प्रस्ताव है ताकि इन पाठ्यक्रमों में करीब 25 लाख छात्रों को दाखिल किया जा सके। उद्योगों से संबध, व्यवसायिक शिक्षकों का प्रशिक्षण, विभिन्न आंतरिक और बाहय सुविधाओं के साथ अनुकूलन पाठ्यक्रम, कैरियर दिशानिर्देश और परामर्श और शिक्षिक्षा आदि पाठ्यक्रमों को चलाया जायेगा ताकि ये विशेष पाठ्यक्रम छात्रों को कैरियर और उच्चतर शिक्षा में प्रवीणता लाने में लाभ प्रदान करना सुनिश्चित कर सकें। 

अन्य योजनाएँ 
केन्द्र सरकार स्तरीय शिक्षा को प्रदान करने के लिए स्वायत्त संगठनों के माधयम से केन्द्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालयों को भी चला रही है। ये विद्यालय पूरे देश में हैं। अब तक 981 केन्द्रीय विद्यालय हैं। इनमें से 50 को पिछले दो वर्षो के दौरान खासतौर पर शैक्षिक रूप से पिछड़े जिलों को धयान में रखते हुए खोला गया है। नवोदय विद्यालय आवासीय विद्यालय है जिनका उद्देश्य योग्य ग्रामीण बच्चों को स्तरीय शिक्षा प्रदान करना है। बहुत से जिलों में 554 जवाहर नवोदय विद्यालय हैं और ये बड़ी संख्या में योग्य ग्रामीण बच्चों और उनके माता-पिता की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करते हैं। जेएनवी के छात्रों की वर्दियों, स्टेशनरी के साथ-साथ उनके रहन-सहन के सभी खर्चे केन्द्र सरकार की मदद से वहन किये जाते हैं। अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति/जनजाति के बच्चों की शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए अनूसूचित जाति/जनजाति बाहुल्य वाले जिलों में 20 नये विद्यालय खोलने का फैसला किया जा चुका है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अतंर्गत एक अन्य स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय मुक्त शिक्षण संस्थान (एनआईओएस), औपचारिक विद्यालयी शिक्षा से दूर के छात्रों को पत्राचार शिक्षा प्रणाली के माध्यम से शिक्षण के अवसर प्रदान करता है। केन्द्र सरकार भी राज्य सरकारों को अपने राज्यों में मुक्त विद्यालय खोलने के लिए प्रोत्साहन देती है। 

उच्चतर माध्यमिक स्तर तक विद्यालय शिक्षा के विभिन्न स्तरों के लिए पारंपरिक पाठ्यक्रमों के अलावा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय विशेष उपयोगिता वाले विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है। ज्ञान अर्थव्यवस्था के आगमन और कौशल तथा दृष्टिकोण की इसकी जरूरी अपेक्षाओं के साथ, माध्यमिक शिक्षा की महत्ता को कम नहीं आंका जा सकता है। केन्द सरकार ने राज्य सरकारों के साथ भागीदारी करके, एक ब्लू प्रिन्ट तैयार किया है ताकि इक्विटी सुनिश्चित करते समय गुणवत्तायुक्त माध्यमिक शिक्षा तक पहुँच बढा़ई जा सके।पिछले शताब्दी के अंत तक हम उदारीकरण व भूमंडलीकरण के दौर में पहुंच गए। सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी जैसी नई प्रौद्योगिकियों ने भारत में प्रवेश कर लिया है। इनका इस्तेमाल भारी पैमाने पर बैंकिंग, उद्योग, करोबार और वाणिज्य में होने लगा है। पूरा कार्य वातावरण बदलता जा रहा है। ज्ञानवान समाज की आवश्यकता बढ ऱही है जिसके कारण साक्षरता का आयाम भी बढ ऱहा है। सूचना साक्षरता और कौशल साक्षरता की आजकल बहुत माँग है। इनसे आदमी की क्षमता बढ स़कती है।शिक्षा भारत के लिए प्राथमिकता है और तब तक रहेगी जब तक देश का अंतिम युवा व्यावसायिक रूप से योग्य नहीं हो जाता क्योंकि यह ग्रामीण-शहरी विभाजन को पूरी तरह उन्मूलन की राह भी बनाएगी। सबके लिए शिक्षा गुंजन भरा शब्द है क्योंकि भारत वृद्धि और विकास के पथ पर लोगों को साथ लेकर चलने का इच्छुक है। सम्मिलित विकास की अवधारणा सारे देश को सम्मिलित करेगी ओैर आगे चलकर इससे ग़रीबी में कमी आएगी।

Comments

  1. स्‍वागत है आपका .. रचना अच्‍छी लगी .. नियमित बने रहें .. शुभकामनाएं !!

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