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मोदी की परिवर्तन रैली और मिशन यूपी



 कुशीनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवर्तन रैली में हजारों की भीड़ अपने प्रधानमंत्री के दीदार के लिए सुबह से पैर जमाए खड़ी थी। यहां अपने पूरे भाषण में मोदी का फोकस कालेधन और नोटबंदी पर रहा। बुद्ध के क्षेत्र में मोदी के इस भाषण में बुद्धि और संयम, दोनों का प्रयोग किया गया। पीएम मोदी ने नोटबंदी के अपने फैसले को हर तरह से जायज बताया और उसके पक्ष में कई उदाहरण भी रखे। लोकतंत्र में हर निर्णय पर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया होती ही है। नोटबंदी के फैसले पर भी ऐसा रहा।
 


मोदी जी का कहना है कि लगभग आधे से ज्यादा आबादी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती है। मतलब रिचार्ज भी कराती ही होगी। इस प्रक्रिया को सीखने के लिए क्या कोई कभी स्कूल गया था या कोई सरकारी कर्मचारी उन्हें यह सिखाने आया था? आखिरकार जनता ने खुद ही सीख ही लिया। ऐसे ही कैशलेस अर्थव्यवस्था की शुरूआत भी की जा सकती है।



अपने उदाहरणों में उन्होंने कहा कि रेलवे के आधे से ज्यादा टिकट लोग स्वंय ऑनलाइन ही बुक कर लेते है। पिछली दो दफा भावुक हो चुके प्रधानमंत्री ने इस बार अपने सशक्त हौसले का परिचय देकर दंभ भरते हुए कहा कि नोटबंदी का फैसला वापस नहीं लिया जाएगा। इस ऐतिहासिक फैसले से छोटे लोगों को छोटी और बड़े लोगों को बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए मोदी बोले कि एक तरफ वो भ्रष्टाचार बंद के खिलाफ अवाज बुलंद कर रहे है, वहीं कुछ लोग भारत-बंद के लिए लामबंद हो रहे हैं। सभी बातों को ध्यान से देखा जाए, तो लगभग हर बात सही लगती है, लेकिन इन सभी बातों के दूसरे पहलुओं को भी नकारा नहीं जा सकता।




फोन रिचार्ज कराना और बैंक का लेनदेन अलग तरीकों से काम करता है। मौजूदा वक्त में कैशलेस इकॉनमी भारत के लिए सुहाना ढोल ही है। इंटरनेट से पहले तो हमें पूरे देश में बिजली आपूर्ति पर ध्यान देना होगा। इंटरनेट अभी अपनी प्रारंभिक स्थिति में है। उच्च आय वर्ग और मध्यम वर्ग के अलावा शायद ही किसी को ऑनलाइन शॉपिंग करते हुए देखा गया हो।




2000 की नोट आने के बाद से बिचौलिए अपने खेल में फिर जुट गए हैं। रेलवे टिकट बुक करने वाले कई टूर एजेंट्स का जीवन-यापन ही इसी टिकट बुकिंग से हो रहा है। कालेधन को सफेद में बदलने के लिए परसेंटेज मार्केट गर्म हो गया है। बैंक मैनेजरों से लेकर व्यवसायी तक, सभी इस परसेंटेज मार्केट में दंद-फंद लगा रहे हैं। जनता का पैसा बैंक में गया जरूर है, लेकिन विजय माल्या जैसे लोग न जाने कितनों का पैसा कर्ज के तौर पर लेकर डकार चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि 5 माल्या पूरे देश के जनधन खाते डकार सकते हैं।




वैसे यह हास्यास्पद है कि नरेंद्र मोदी को अपने फैसले के लिए जनता से समर्थन मांगना पड़ रहा है। अच्छी योजनाओं के लिए जनता से समर्थन मांगने की जरूरत नहीं पड़ती है, बल्कि जनता खुद समर्थन देती है। मोदी को समर्थन मिल जरूर रहा है, लेकिन सिर्फ हार्डकोर बीजेपी सपोर्टर्स से. वैसे मिशन यूपी में सिर्फ कालेधन पर चर्चा ये इशारा भी करती है कि शायद सबसे ज्यादा कालाधन यूपी में ही है। खैर, कैशलेस यूपी में अगामी चुनाव देखना किसी सर्कस से कम नहीं होगा।

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