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पूरे देश को खाना खिलाने वाला खुद घास और चूहे खाकर पेशाब पी रहा है

पिछले 40 दिनों से लगभग हर अखबार की खाली जगह भरने और हर चैनल का बुलेटिन पूरा करने के लिए एक ही खबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली में तमिलनाडु के किसानों का विरोध प्रदर्शन। अपनी मांग रखने के लिए सभी गांधीवादी तरीके अपना चुके ये किसान आखिर में अपना पेशाब पीने को मजबूर हो गए, लेकिन लुटियंस दिल्ली में बैठने वाले सरकार के किसी प्रतिनिधि के कानों तक इनकी आवाज नहीं पहुंची। मल खाने तक की धमकी दे चुके ये किसान आज अगर बंदूक उठा लें, तो नक्सलवाद का ठप्पा इन्हें व्यवस्था से बाहर कर देगा। डर इस बात का है कि डिजिटल इंडिया के निर्माण की प्रक्रिया में हम उस धड़े की उपेक्षा कर रहे हैं, जो जीवन की सबसे बेसिक जरूरत को पूरा करने वाली इकाई है। एक तरफ उत्तर प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ किया जाता है, वहीं दूसरी तरफ तमिलनाडु के किसानों को मानव-मल खाने की धमकी देनी पड़ती है। कल तक सत्ता तक पहुंचने का जरिया रहे ये किसान आज सत्ता की अनुपलब्धता का श्राप झेल रहे हैं। एक आम भारतीय को न तो अजान की आवाज से तकलीफ होती है और न मंदिर के घंटे से, लेकिन अपने अन्नदाता की ऐसी दुर्गति जरूर उसके मन को क...

यूपी चुनाव विशेष: चुनावी जुमलेबाजी में उबलती राजनीति

                         जातियों की बुनावट में लिपटी देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजनीति इस बार भी नए रंग बिखेर रही है। होली के रंग आपको पसंद हों या न हों, लेकिन रंग खेलने वालों को आप नहीं रोक सकते, चुनाव भी ऐसे ही होते हैं। आप तरह-तरह के उपाय मसलन पानी बचाना, गो ग्रीन, नेचुरल कलर जैसी बातें करते हैं, लेकिन आखिर में रायते में लिपट ही जाते हैं। इस बार के पब्लिक स्फेयर में हमने यूपी की सियासत में बेलगाम होते जुमलों, कटाक्ष और भाषणों को शामिल किया गया है। विधानसभा चुनाव 2017 में यूपी में चल रही मुंहजुबानी जंग किसी विश्वयुद्ध से कम नहीं है,'रेनकोट पहनकर नहाने की कला' से लेकर 'श्मशान-कब्रिस्तान के विकास तक', नेताओं की बद्जुबानी चुनावभर छाई रही। किसी ने कहा कि यूपी ने उसे गोद लिया है, तो जवाब आया कि जहां बाप-बेटे की नहीं बनती, वहां गोद लिए हुए को कौन याद रखेगा। लेकिन सियासी फायदे के लिए शुरू होनी वाली ये जुबानी जंग सामाजिक चेतना और मर्यादा को तार-तार करती नजर आती है,इसकी किसी को फिक्र नहीं है। अपने पसंदीदा ...

मोदी की परिवर्तन रैली और मिशन यूपी

  कुशीनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवर्तन रैली में हजारों की भीड़ अपने प्रधानमंत्री के दीदार के लिए सुबह से पैर जमाए खड़ी थी। यहां अपने पूरे भाषण में मोदी का फोकस कालेधन और नोटबंदी पर रहा। बुद्ध के क्षेत्र में मोदी के इस भाषण में बुद्धि और संयम , दोनों का प्रयोग किया गया। पीएम मोदी ने नोटबंदी के अपने फैसले को हर तरह से जायज बताया और उसके पक्ष में कई उदाहरण भी रखे। लोकतंत्र में हर निर्णय पर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया होती ही है। नोटबंदी के फैसले पर भी ऐसा रहा।   मोदी जी का कहना है कि लगभग आधे से ज्यादा आबादी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती है। मतलब रिचार्ज भी कराती ही होगी। इस प्रक्रिया को सीखने के लिए क्या कोई कभी स्कूल गया था या कोई सरकारी कर्मचारी उन्हें यह सिखाने आया था ? आखिरकार जनता ने खुद ही सीख ही लिया। ऐसे ही कैशलेस अर्थव्यवस्था की शुरूआत भी की जा सकती है। अपने उदाहरणों में उन्होंने कहा कि रेलवे के आधे से ज्यादा टिकट लोग स्वंय ऑनलाइन ही बुक कर लेते है। पिछली दो दफा भावुक हो चुके प्रधानमंत्री ने इस बार अपने सशक्त हौसले का ...