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मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है ....

बाल सखा अंकित के साथ अपने घर की छत पर . चांद  को देखते हुए, और उनकी मनोदशा पर लिख गए .... सोचा की आपसे भी क्या छुपाना, बाकि राज़ की बात सारे मित्र जानते है ... उस चाँद को जब एक टक देखा तुम सा हसीं नही लगा ये ख़ता ही सही आंखों की  तो भी मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है .... मजबूरी नही, मेरा शौक  है ये वो चाहे, तो तारों को कम कर दे या मुझको! इश्क की बस इतनी सी कमजोरी मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है . ... कभी ख्वाब अकेले थे, तो कभी हम! अब न वो और न हम , अगर ये इश्क है तो भी - मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है  .... बस इतनी सी है दुआ तेरे रब से- कि बची जिंदगी गुजरे तेरे साथ शर्त सिर्फ इतनी सी है बस  , गर उसे मंजूर है तो मुझे भी मंजूर है ! बिना तेरे ये ऱौशनी किस काम की ? अब अगर चांद की है तो भी मंजूर है  .. ये बेबाकी मेरी, भले पसंद आए न तुम्हे.. पर किसी को भी समझ आएं तो भी मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है .... ये हवा का शोर और तेरी ख़ामोशी गर सिर्फ मेरे लिए है तो मुझे मंजूर है... मुझे मंजूर है .... "छोटा रावन

कभी बिना पिये ही आप शायर बन जाते है....@ जयपुर

1-कहीं खो सा गया हूं अंधेरों में, "मैं"... एक बात मान लो और मेरी  बस इतनी खिदमत काफी है कि... कभी पलके न खोल देना मेरी आंखो के सामने तुम.. खोया हुआ "मैं "तेरी आंखों मे देख कर कहीं फिर बिफर न जाऊं..... 2-और इबादत करूं तो किस बात के लिए... तेरा चेहरा देख लूं तो जन्नत नसीब हो जाए... 3-जिंदगी के मायनों को तुम बदल न सके... एक तुम न बदले बाकि सारे मायने बदल गए.... 4-उस अश्क से अब बस इतनी गुजारिश है...कि सपने में ना दिखा करे ... कुछ पागल आज भी आशिक है, सपनों में ही बाहें समेटे तु्म्हे पाने के लिए फिर से सो जाते है.... 5-कुछ रंग बिरंगी उम्मीदो की पतंगे कभी हम भी उड़ाया करते थे मज़े से... आज न जाने क्यों आसमा को हमने खाली नीला छोड़ दिया.... 6-उफ्फ ये रो-रो कर माथा पीटने वाले लोग... समझते नही है कि इश्क का एक मुकाम ये भी है....

वीर रस , बस यूं ही!

उठ फेंक रणबाकुरे , यह सूर्य उदय का वक्त है. जोश है और अक्ल है , तू अपनी चाल में मस्त है । भार है ये सूर्य का , या  प्रताप वक्त का ..  "जहाँ" का वो नूर है तो , तू नूर से भी स़ख्त है । हाड-माँस का पुतला, यदि शरीर में रक्त है तो ठोक ताल बार बार, तू ढोल से भी सख्त है। न रंग उसे भिगा सके ,न कोई डिगा सके..... मूल्यवान विचार है तो ये विचार मस्त है। मस्तिष्क मे ं भूचाल है, फिर भी ह्रदय उदार है .. तो ये विचार मस्त है तो ये विचार मस्त है।

होली में अपनापन....

रंग, भंग और सिर्फ उनके संग , होली का मज़ा ही कुछ और है.... बदहवास लोग , हर गली में शराब , होली कि बात ही कुछ और है, चारो तरफ गुलाल, कीचड़ से भरी सड़क और मीठा पान, होली कि बात ही कुछ और है, हर घर में डी. जे ,हर रोड पर बवाल , आदमी पिये है तो बात ही कुछ और है... नशे में सराबोर, देशी तमंचा 12 बोर,नशे ंमें हर किसी की ओर , होली कि बात ही कुछ और है... मंहगा आलू, कचरी और पापड़ , सिर्फ रसगुल्ले , होली कि बात ही कुछ और है ...  बड़ो  का आर्शीवाद , छोटो का उन्माद, बराबर की मस्ती , होली कि बात ही कुछ और है....

BaChPan !!!!!!!!!!!

aaj hum chah ker bhi wo raat pa nahi sakte .. vatan se door hoker sondhi mitti ki khusboo ko pa nahi sakte. dooriyon ne bhi ab hamse kinara ker liya hai. chah ker bhi aaj apna bachpan pa nahi sakte,,,,, hum apne formule banate gaye , kudrat apna roop gadti rahi, aaj pata chala jab peeche mud ker dhekha, hum hamesha galat the,  aur kudrat hamesha sahi............. wo kheto me khelna ,wo nani k yahan jana  kahani ki jid ker nani k sath sona ,, wo chasma chupana ,wo gud ka churana sochte hai un dino ko aaj bhi???  per muskil hai pana, wo dada ka chasma , wo dadi ki chadi chupana wo khatye pe sona ,wo chup chup k rona , wo mousi ka dhatna ,wo mama ka sehlana bada yaad aata hai ,apna jawana purana........... wo mallo  ki picnik ka kheto me hona . Macdonals k jagah bati chokha ka hona. wo hare khet ,aur kheton ki chidya wo diwali k patahke aur holi ki ghujiya . wo haro ko potna ,wo gharo ko sajana  bada yaad aata hai jawana purana.......... wo guru ji ka marna . aur aaya ji ka dhatna, wo col...